hindi kahaniyan
बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताय कहानी
बूढ़े माता पिता का सम्मान दिल को छूने वाली कहानी
' श्यामा द्विजेंद्रनाथ मिश्र 'निर्गुण'
बरगद का साया। अटल पैन्यूली 'उत्तराखंडी'।
मैं बरामदे में टहल रहा था। इतने में मैंने देखा कि विमला दासी अपने आँचल के नीचे एक प्रदीप लेकर बड़ी भाभी के कमरे की ओर जा रही है। मैंने पूछा—क्यों री!
से मुंशी प्रेमचन्द की भाषा तत्कालीन समाज की बोल चाल की भाषा है। जिसे हम लोक
छोड़ा हुआ रास्ता, पगोड़ा वृक्ष, पुरूष भाग्य' आदि कहानियाँ
''ताऊजी, हमें लेलगाड़ी (रेलगाड़ी) ला दोगे?" कहता हुआ एक पंचवर्षीय बालक बाबू रामजीदास की ओर दौड़ा।बाबू साहब ने दोंनो बाँहें फैलाकर कहा—''हाँ बेटा,ला देंगे।'' उनके इतना कहते-कहते बालक उनके निकट आ गया। उन्होंने बालक को गोद में उठा लिया और उसका मुख चूमकर विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक'
साहित्य आन्दोलन मुख्य हैं। इन आन्दोलनों पर फ्रान्स - जर्मनी में प्रचलित
हैं,' अमरकान्त की 'डिप्टी कलक्टरी' आदि कहानियों में
क्रोध और वेदना के कारण उसकी वाणी में गहरी तलख़ी आ गई थी और वह बात-बात में चिनचिना उठता था। यदि उस समय गोपी न आ जाता, तो संभव था कि वह किसी बच्चे को पीट कर अपने दिल का ग़ुबार निकालता। गोपी ने आ कर दूर से ही पुकारा—'साहब सलाम भाई रहमान। कहो क्या बना रहे विष्णु प्रभाकर
आदि अनेक कहानीकारों की रचनाएं बहुत प्रसिद्ध हुई ।
मुंशी प्रेमचन्द को रखकर हम तीन चरणों में बाँटते हैं -
केवल पांडे आधी नदी पार कर चुके थे। घाट के ऊपर के पाट मे अब, उतरते चातुर्मास में, सिर्फ़ घुटनों तक पानी है, हालाँकि फिर भी अच्छा-ख़ासा वेग है धारा में। एकाएक ही मन मे आया कि संध्याकाल के सूर्यदेवता को नमस्कार करें, किंतु जलांजलि छोड़ने के लिए पूर्वाभिमुख शैलेश मटियानी